हिंदी कहानियां - भाग 166
मदद
मदद आज मीना स्कूल थोड़ी देर से पहुँची।बहिन जी द्वारा देर से आने का कारण पूँछने पर मीना ने बताया की उसने स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले हैण्डपम्प पर दीनू काका की पानी से भरी बाल्टी उठाने में मदद की।शोभा ने जब मदद के बदले इनाम की बात पूँछी तो मीना ने जवाब दिया ,'मैंने इनाम के लिए मदद नहीं की।' बहिनजी बच्चों से कहती हैं कि,किसी की मदद करेंगे और कल उसे कॉपी में लिखकर लायेंगे।और जिसकी मदद सबसे उत्तम होगी उसके लिए तालियाँ बजबाई जाएँगी। अगले दिन......बहिन जी बारी बारी से सबकी कापियाँ देखती हैं.... सुनील ने गोलू भैया की 'भूरी' बकरी ढूँढने में मदद की। दीपू ने पोंगाराम चाचा की,आम तुड़वाने और गिनवाने में मदद की। मीना ने शन्नो चाची के बेटे गुल्लू को 'चिड़िया और उल्लू' नामक कहानी पढ़कर सुनाई। सोमा ने मुर्गी की मदद की.....सरपंच जी के घर के बाहर लगे तारों से मुर्गी को सुरक्षित बाहर निकाला। बच्चों द्वारा पूँछने पर कि 'यह कैसी मदद ?' इस पर बहिनजी ने बच्चों को समझाया कि मदद मदद होती है चाहे जानवर की हो या इंसान की। मोनू ने कल स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले हैण्डपम्प के आस-पास साफ सफाई की । इस तरह मोनू द्वारा की गयी मदद से सभी गाँव वालों को लाभ मिला, नल के आस पास गंदगी नहीं रहेगी और बीमारियाँ नहीं फैलेंगी।बहिनजी ने उसके लिए कक्षा में तालियाँ बजबाई।